HOLI: होली की तैयारी गांव से शहर तक दिखाई देती है। बाजार रंग, गुलाल, होली के कपड़े और मिठाइयां से भर गया है। बाजार में मांग भी अच्छी है। भारत में ही बनाए गए हर्बल रंग, गुलाल, पिचकारी, गुब्बारे, चंदन, पूजा सामग्री, परिधान और अन्य उत्पादों का बड़ा बाजार है। वहीं बाजार में मिठाइयां, ड्राई फ्रूट, गिफ्ट आइटम्स, फूल-फल, कपड़े, फर्निशिंग कपड़े, किराना, एफएमसीजी उत्पाद और कंज्यूमर ड्युरेबल्स सहित अन्य कई उत्पादों की जबरदस्त मांग दिखाई दे रही है। रंग-अबीर खेलने वालों को सफेद टी-शर्ट, कुर्ता-पाजामा और सलवार सूट की बहुत मांग है। साथ ही, हैप्पी होली लिखे टी-शर्ट की मांग लगातार बनी हुई है। इससे दुकानदारों के चेहरे खिले हुए हैं।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT) का अनुमान है कि इस वर्ष होली के दौरान व्यापार में लगभग 20% की वृद्धि होगी, यानी 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होगा। पिछले वर्ष यह कारोबार लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का था। एक अनुमान के अनुसार दिल्ली के बाजारों में ही लगभग 8 हजार करोड़ से अधिक के व्यापार होने की संभावना है।
रिकॉर्ड संख्या में होली मिलन समारोह का आयोजन
चांदनी चौक से भाजपा सांसद और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि इस वर्ष भी दिल्ली सहित देश भर में बड़े पैमाने पर होली समारोहों का आयोजन होगा, जिसके चलते बैंक्वेट हाउस, फार्म हाउस, होटलों, रेस्टोरेंटों और सार्वजनिक पार्कों में होली समारोहों का तांता लगा हुआ है। दिल्ली भर में अकेले ही 3 हजार से अधिक होली मिलन समारोह आयोजित हो रहे हैं, जिससे सभी लोगों के चेहरों पर नई खुशी और उत्साह का भाव देखने को मिल रहा है। बहुत से व्यापारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संस्थाएं होली मिलन समारोह कर रहे हैं।
बाजार में तेजी से बढ़ रही भीड़
बाजार में खरीददारी करने वालों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। फल और मिठाई के साथ मेवे की माला ले जाने की परंपरा के चलते दुकानों पर लोगों की भीड़ लगी रही। इससे बाजार में चहल पहल बढ़ी है। अलग-अलग तरह की पिचकारी गुब्बारे और अन्य आकर्षक सामान बाजार में आए हैं। 100 से 350 रुपये के बीच प्रेशर वाली पिचकारी मिलती है। 100 रुपये से 400 रुपये तक की लागत वाले पिचकारी टैंक हैं। फैंसी पाइप भी लोकप्रिय हो गया है। बच्चों को स्पाइडर मैन, छोटा भीम आदि बहुत पसंद है। वहीं गुलाल स्प्रे की बहुत मांग है।
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