अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में शुक्रवार को (13 जून 2025) एक जोरदार उछाल देखने को मिला, जिसमें एक ही दिन में कीमतें 7% से अधिक बढ़ गईं। इस अचानक और तीव्र वृद्धि ने वैश्विक बाजारों में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है, खासकर भारत जैसे बड़े तेल आयातक देशों के लिए। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड का भाव $74 प्रति बैरल के आसपास पहुंच गया।
तेजी की मुख्य वजह
मध्य पूर्व में बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव
कच्चे तेल की कीमतों में इस भारी उछाल का मुख्य कारण मध्य पूर्व में, विशेष रूप से ईरान और इजरायल के बीच, बढ़ता हुआ भू-राजनीतिक तनाव है।
इजरायल का ईरान पर हमला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों की खबरों के बाद वैश्विक बाजारों में तेल की आपूर्ति में संभावित व्यवधान की आशंका बढ़ गई। ईरान दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादकों में से एक है, और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, किसी भी बड़े संघर्ष से इसकी तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
सप्लाई बाधित होने का डर
इजरायल-ईरान संघर्ष से हॉरमुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) में तेल के प्रवाह में व्यवधान का खतरा पैदा हो गया है। यह जलडमरूमध्य वैश्विक तेल व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है, और इसके बंद होने से दुनिया भर में कच्चे तेल की आपूर्ति गंभीर रूप से बाधित हो सकती है। निवेशकों में यह डर बढ़ गया है कि अगर यह तनाव बढ़ता है तो तेल की उपलब्धता पर सीधा असर पड़ेगा।
जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट
जेपी मॉर्गन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता है और आपूर्ति बाधित होती है, तो ब्रेंट क्रूड की कीमतें काफी बढ़ सकती हैं। हालांकि, रिपोर्ट में हॉरमुज के बंद होने को कम जोखिम वाली घटना बताया गया है, क्योंकि ईरान अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहेगा।
आगे क्या?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह भू-राजनीतिक तनाव बना रहता है या और बढ़ता है, तो कच्चे तेल की कीमतें आगे भी बढ़ सकती हैं। भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि इससे आयात लागत बढ़ेगी और घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों और महंगाई पर सीधा असर पड़ेगा। इस स्थिति पर वैश्विक ऊर्जा बाजार और विशेषज्ञ बारीकी से नजर बनाए हुए हैं।